Kavita Jha

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सलोनी का प्यार (उपन्यास)लेखनी कहानी -17-Jan-2022

भाग -7
सलोनी डायरी के पन्नों में डूबी अतीत के उन एहसासों को महसूस कर रही थी..
पूरी रात रोकर गुजारी फिर जब अगले दिन सुरजीत एक गुलाबी लिफाफा लिए मेरे पास आया जब मैं दिन में सोने की कोशिश कर रही थी उसकी यादों को भूलने की । वो सिर्फ मेरा पड़ोसी है अब उससे कभी बात भी नहीं करूंगी। 
मम्मी परेशान थी उन्हें लग रहा था वायरल फीवर की चपेट में आ गई हूं! 
सर में दर्द है और बुखार सा लग रहा है ,यही तो कहा था मैंने मम्मी को और क्या कहती मैं उस समय कि मेरा दिल किस तरह तोड़ दिया आपके चहेते सुरजीत ने।हां मम्मी उसे बहुत पसंद करती थी, वो है ही इतना प्यारा जो उसे एक बार देखे ,पहली ही नज़र में प्यार कर बैठे। मम्मी ने क्रोसिन और होर्लिक्स वाला गर्म दूध  देकर कहा जल्दी से इसे पी कर दवाई खा ले। 
काश! वो दवाई मेरे दर्द कम कर सकती।मैं तो अपने आंसुओं को पी रही थी, हाथ में ग्लास पकड़े । तभी  सुरजीत ने कंबल हटाते हुए कहा , " अरे! आलसी सल्लो रानी अब तक बिस्तर पर है तूं, रात को क्या जागरण कर रही थी। तेरी आंखें भी लाल सूजी हुई नज़र आ रही है, अरे! तूने भी सिगरेट पीनी शुरू कर दी या कोई दूसरा नशा कर रही है।"
क्या बताती मैं उस समय ये सिगरेट के धुंए या किसी नशे का असर नहीं ये तो उसी के प्यार में पागल होने की कीमत चुका रही हूं।
वो मुझसे सामान्य व्यवहार की उम्मीद में था, शायद उसे एहसास ही नहीं था कि कल उसने मेरा दिल तोड़ दिया था।
यार प्लीज़ मेरा एक छोटा सा काम कर दे ना, वो एक हाथ में गुलाबी लिफाफा पकड़े और उसके दूसरे हाथ की उंगलियां मेरे खुले बिखरे बालों से खेल रही थी। एक पल लगा कल जो उसने कहा उस लड़की के बारे में जिसे मेरी भाभी कहकर संबोधित कर रहा था, सब झूठ था। वो भी मुझे उतना ही पसंद करता है जितना मैं उसे। 
ये मेरा पहला प्रेमपत्र उस तक पहुंचा दे ना, मैंने उसके बारे में सब पता कर लिया है। तेरी सहेली कृतिका की बुआ की भांजी है, अभी आई है अपनी बुआ के पास और अब यहीं से अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करेगी।तूं तो कृतिका की बुआ के घर भी आती जाती है, प्लीज़ अपने दोस्त के लिए इतना नहीं कर सकती। तूं जो मांगेगी मैं दूंगा तेरे इस एहसान के बदले।बस मेरा ये खत उस तक पहुंचा दे।
दोस्त, वो मुझे अपना दोस्त समझता है और मैं क्या समझने लगी थी। उसके हाथों का स्पर्श मन में एक अजीब सी हलचल मचा देता है, क्या सिर्फ ये दोस्ती की निशानी है या उससे बढ़ कर।
मैं ये दोस्ती खोना भी तो नहीं चाहती थी। 
राहुल की तरह नहीं है सुरजीत जो सिर्फ शक्ल सूरत देख दोस्ती करता है, उसकी इसी बात पर ही तो मैं फ़िदा थी मैं उस पर।
पर आखिर रंग तो इसने भी दिखा ही दिया ना। सुंदरता के पीछे भाग ही रहा है ना,कल एक सुंदर लड़की को देखा और आज लव लैटर।
मैं उससे नजरें चुरा रही थी और वो उसी तरह अपनी उंगलियां मेरे बालों में नचा रहा था और वो गुलाबी लिफ़ाफा मुझे चिढ़ा रहा था! बहुत देर खुद को शांत रखने के बाद ग्लास को वहीं पलंग के कोने में रख मैंने उसके हाथ को झटका। 
जा यहां से अभी,वरना ये गर्म दूध तेरे मुंह पर उड़ेल दूंगी, फिर मिलते रहना उस सुंदरी से अपना सड़ा हुआ मुंह लेकर। 
अरे! क्या हुआ इतनी बौखलाई हुई क्यों है, आज डांट पड़ी है क्या मम्मी-पापा से।
तूं जाता है यहां से या नहीं, मेरी चीख सुन मम्मी दौड़ी हुई आई।
क्या हो गया फिर से झगड़ा कर लिया सल्लू तूने सुरजीत से। तेरी तबियत पूछने आया , और तूं चिल्ला रही है इस पर।
मम्मी इसको बोलो ये तुरंत चला जाए यहां से, मैंने कंबल से अपना मुंह ढकते हुए कहा। मुझे नींद आ रही है।
मम्मी बड़े प्यार से उसे समझा रही थी, पता नहीं क्या हो गया आज स्कूल भी नहीं गई। 
सुरजीत की आवाज़ मेरे कानों तक साफ पहुंच रही थी जब वो मम्मी के साथ दूसरे कमरे में चाय नाश्ता करते हुए बात कर रहा था। मैं अपने कानों को दोनों हाथों से दबाऐ थी। 
जब थोड़ी देर बाद कंबल उठा कर देखा, वो गुलाबी लिफ़ाफा वहीं रखा था।मन किया टुकड़े टुकड़े कर दूं, पर ना जाने क्या सोचकर उसे तकिए के नीचे छुपा दिया। कहीं किसी की नजर ना पड़ जाए।
दसवीं की परिक्षाएं नजदीक थी और मैं ये किस राह पर चल पड़ी, कब उससे प्यार हुआ पता ही ना चला और फिर दिल टूट गया।
***
कविता झा काव्या कवि
# लेखनी
## लेखनी धारावाहिक लेखन प्रतियोगिता
०१.०३.२०२२

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

01-Mar-2022 06:07 PM

वाह बहुत बढ़िया

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Sandhya Prakash

01-Mar-2022 02:23 PM

कभी कभी वो नही होता जो हम चाहते हैं। वही होता है जो जिंदगी चाहती है।

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